Rajasthan Nursery Teacher Training NTT Syllabus 2025: राजस्थान में नर्सरी टीचर ट्रेनिंग के रिक्त पदों को भरने के लिए बहुत ही जल्द भर्ती का आयोजन किया जाएगा| जो उम्मीदवार इस भर्ती में चयनित होना चाहते है वे अपनी तैयारी को जारी रखे| पेपर में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य ह
Rajasthan NTT Exam Pattern 2025
पेपर कुल 100 अंको है|
पेपर को करने के लिए 3 घंटे का समय दिया जाएगा|
बाल विकास 0 से 6 वर्ष तक | 15 Marks |
शारीरिक गत्यात्मक विकास | 10 Marks |
सामाजिक एवं भावनात्मक विकास | 10 Marks |
भाषायी विकास | 10 Marks |
संज्ञानात्मक विकास | 15 Marks |
सृजनात्मक विकास | 10 Marks |
विशिष्ठ बच्चों, मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता | 5 Marks |
सीखना उत्प्रेरण, रूचि, आदतें एवं व्यवहार | 10 Marks |
सीखने, सीखाने की प्रक्रिया एवं विधियां | 10 Marks |
बच्चों की योग्यता का मूल्यांकन | 5 Marks |
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Rajasthan Nursery Teacher Training Syllabus 2025
बाल विकास 0 से 6 वर्ष तक :-
- बाल विकास की परिभाषा, अर्थ, उद्देश्य, क्षेत्र एवं बाल्यावस्था की विशेषताएँ।
- बाल विकास में पोषण की भूमिका
- जनसंचार माध्यमों का बच्चों के विकास पर प्रभाव।
- बच्चे की वृद्धि एवं विकास अन्तर, सिद्धान्त, परिपक्वता एवं वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक-पर्यावरण व वंशानुगत
- गर्भावस्था की अवस्थाएं व उनको प्रभावित करने वाले तत्व
- बाल विकास- जन्म से 8 वर्ष तक की आयु तक बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ एवं प्रत्येक अवस्था के विकासात्मक कार्य
- प्रारम्भिक उद्दीपन के प्रकार, महत्व एवं विकास पर प्रभाव
- विकास की गति शैशवावस्था के प्रत्येक चरण पर बच्चों की आवश्यकताएं तथा उनका सीखने पर प्रभाव ।
- शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्यः अर्थ एवं महत्व
Rajasthan NTT Exam 2025 शारीरिक गत्यात्मक विकासः-
- शारीरिक गत्यात्मक विकासः-
- शरीर के विभिन्न अंगों का विकास, ऊंचाई तथा भार।
- शारीरिक विकास के चरण तथा लैंगिक असमानता।
- नियमित आदतों के निर्माण में समय पालन का महत्व कुल्ला करना, मंजन करना, स्नान, खान-पान, मनोरंजन, शयन आदि।
- बच्चे की व्यक्तिगत स्वच्छता एवं स्वास्थ्य पर ध्यान विशेषतः त्वचा, नेत्र, कान, नाक, हाथ, गला, नाखून आदि
- बच्चों में स्वस्थ आदतों एवं नियमितता का विकास ।
- गत्यात्मक कौशलों का विकास सूक्ष्म एवं स्थूल कौशल तथा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए प्रेरक कौशलो के विकास हेतु क्रियाएँ
- हस्त कौशल विकास अर्थ एवं महत्व
- खेलों का महत्व एवं प्रकार
- आंगनबाड़ी के कक्षा कक्ष की स्वच्छता, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता, जल का संग्रहण तथा शुद्ध करने के तरीके ।
Rajasthan NTT Exam 2025 सामाजिक एवं भावनात्मक विकासः-
- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व, शिक्षा तथा समाज
- समाज एवं समुदाय के प्रति शिक्षक की समझ एवं आवश्यकता।
- सामाजिक विकास के चरण, शैशवास्था में 6 वर्ष तक के आयुवर्ग में सामाजिक व्यवहार के रूप।
- बच्चो का सामाजिक एवं भावनात्मक विकास में माता पिता की भूमिका व महत्व
- बच्चों के भाव पक्ष की विशिष्ठताः स्नेह, प्रेम, श्रम, क्रोध, ईर्ष्या आदि बालपन की प्रमुख भावनाएं।
- बच्चों की घर, परिवार, वातावरण, समाज तथा आंगनबाड़ी केन्द्र में समायोजन। असमायोजित बच्चों का वैयक्तिक अध्ययन एवं बच्चों में स्वभावना, सामाजिक तथा समाज विरोधी व्यवहार तथा इनके निवारण के उपाय।
- सामाजिक व्यवहार एवं शिष्टाचार अभिवादन करना, धन्यवाद देना, क्षमा याचना, मधुर भाषण, अतिथि सत्कार, दूसरों के काम में बिना बाधा पहुंचाये धीरे-धीरे बोलना, द्वार पर स्वागत करना, आसन देना, विदा मांगना, निमंत्रण देना, आवश्यकता होने पर सहायता देना,
- आंगनबाड़ी केन्द्र में परिवार एवं समाज से सम्पर्क व सहभागिता के तरीके
- समुदाय में गतिशील, नेतृत्व करने की क्षमता वाले व्यक्तियों का सहयोग प्राप्त करना।
- सामुदायिक संसाधन एवं क्षैत्रीय भ्रमण स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र, पोस्ट ऑफिस, पंचायत घर, आंगनबाड़ी केन्द्र आदि के बारे में जानकारी तथा इनके कार्यों का परिचय ।
- सामाजिक विकास हेतु गतिविधियाँः त्योहार, जन्मदिन मनाना, भ्रमण, राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक पर्व आदि
- बच्चों के संवेगों की विशेषताएं एवं नियंत्रण तथा निवारण
- बच्चों में समस्यात्मक व्यवहार एवं उनका निवारण जैसे-कोध, अंगूठा चूसना, नाखून कुतरना, आकामक रूख अपनाना, झगड़ना, शर्मीलापन, स्वार्थ भावना,, पलायन, बिस्तर गीला कर देना आदि
Rajasthan NTT Exam 2025 भाषायी विकासः-
- जीवन के प्रथम 6 वर्षों में भाषा के विकास की अवस्थाएँ।
- जीवन के प्रथम 6 वर्षों में भाषा विकास का बच्चे के बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक चेतना, प्रत्यय, तर्कशक्ति एवं व्यक्तित्व के विकास पर प्रभाव।
- बच्चे के जीवन में पढ़ने एवं लिखने का महत्व एवं तैयारी
- जीवन के प्रथम 6 वर्षों में भाषा विकास हेतु आवश्यक सहायक सामग्री एवं वातावरण
- विभिन्न वाणी दोष कारण, प्रकार, प्रभाव एवं निवारण
- भाषायी कौशल की गतिविधियोंः- शब्द भंडार में वृद्धि, लिखने की तैयारी, वार्तालाप, प्रश्नोत्तर, लघु कथाएं, कविताएं, अर्थज्ञान परक पठन, मौखिक आदान प्रदान की भाषा, वार्तालाप, प्रश्नोत्तर, वातावरण एवं वैज्ञानिक नामकरण, चित्र पठन, स्वतन्त्र पठन, कटे हुए अक्षर एवं आकृतियों द्वारा लिखने की तैयारी।
Rajasthan NTT Exam 2025 संज्ञानात्मक विकासः-
- बच्चों के जीवन में ज्ञानेन्द्रियों का महत्व, प्रशिक्षण एवं पांचों ज्ञानेन्द्रियों से सम्बन्धित न्यूनतम सीखने की दक्षताएं।
- बुद्धि के लिए कार्य क्षेत्र प्रदान करना।
- पर्यावरण एवं ज्ञानेन्द्रियों का सहसंबंध ।
- मस्तिक का विकास व ज्ञानेन्द्रियां।
- शैशवावस्था में ज्ञानेन्द्रियों की विशिष्ट सक्रियता।
- विभिन्न प्रत्ययों के लिए गतिविधियों एवं सहायक सामग्री रंग, आकार, संख्या, आकृति भार, माप, अंकपूर्व ज्ञान, समय आदि।
- संज्ञानात्मक विकास में मानसिक प्रकियाएँ एवं कौशलः-
अवलोकन एवं स्मरण।
वर्गीकरण।
कमबद्ध चिन्तन ।
समस्या समाधान।
पहचान।
मानसिक कौशलों से संबंधित न्यूनतम दक्षताएं।
एक से एक मिलाना।
Rajasthan NTT Exam 2025 सृजनात्मक विकासः-
- कल्पना एवं सृजनात्मकता / बुद्धि एवं सृजनात्मकता
- सृजनात्मक विकास अर्थ, माध्यम तथा महत्व
- सृजनात्मकता विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- सृजनात्मक गतिविधियोंः
विभिन्न काडौँ, चित्र बनाना, बालोपयोगी सामग्री का निर्माण, पेन्सिल से स्वतंत्र रूप से चित्रांकन, कार्ड बोर्ड से बने मॉडल को मोडना और चिपकाना, मिट्टी के खिलौने बनाना, सूखे तथा पानी के रंगों का प्रयोग, श्याम पट्ट पर चित्रांकन, कागज काटना, खिलौने बनाना, लकड़ी के टुकडों से घर तथा अन्य आकृति बनाना एवं आंगनबाड़ी परिसर की स्वच्छता, रख-रखाव, सौन्दर्यकरण,
विशिष्ठ बच्चों, मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छताः-
- विशेष बच्चों का अर्थ, प्रकार, पहचान, शिक्षा तथा उनकी समस्याएं एवं निवारण
- संवेगात्मक रूप से असंतुलित, ईष्यालु, भयग्रस्त, झगडालु.. चिंतायुक्त, कोधी एवं निराश बच्चों की पहचान व उनका निदान।
- मानसिक स्वास्थ्य अर्थ एवं महत्त्व
- स्वच्छता अर्थ एवं महत्व
सीखना उत्प्रेरण, रूचि, आदतें एवं व्यवहारः-
- अधिगम अर्थ, प्रभावित करने वाले घटक।
- अधिगम सिद्धान्त एवं परिपक्वता प्रयास व त्रुटि का सिद्धान्त, सक्रिय अधिगम, अधिगम का स्थानान्तरण, अनुकरण अधिगम का सिद्धान्त, पुनर्बलन का सिद्धान्त, अधिगम को उन्नत करने के तरीके आदि
- उत्प्रेरणा का अर्थ, महत्व, प्रभावित करने वाले तत्व, उत्प्रेरित करने के विविध उपाय।
- अभिरूचि, आदतें एवं भावना अर्थ, महत्व, विकसित करने के उपाय।
सीखने, सीखाने की प्रक्रिया एवं विधियांः-
- बच्चे के जीवन में पढ़ने एवं लिखने का महत्व एवं तैयारी
- सक्रिय अधिगम, प्रदर्शन, कहानी कहना व कहानी पूरी करना।
- बच्चे के अध्ययन की सामान्य विधियां तथा तकनीकें अभिनय, गीत, प्रार्थनाएं, देशभक्तिपूर्ण गीत, ताल. लय, कविताएं
- साथियों से सीखना।
- संकेतों से सीखना
- मौखिक आमंत्रण
- पर्यावरणीय पहेलियाँ आदि
बच्चों की योग्यता का मूल्यांकनः-
- अर्थ एवं महत्व एवं प्रकार
- बच्चों की शारीरिक, भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक, भाषाई विकास हेतु मूल्यांकन की विधाएं।
- बच्चों के परीक्षण के मानदण्ड यथा-अवलोकन सूची, प्रोजेक्टिय तकनीक या विभिन्न प्रदीक्षण आदि।
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my name is Sandeep. I have done B.Sc.- B.Ed. I teach Math in Senior Secondary. Along with studies, I am interested in blogging on the field of government jobs. It has been 3 years since I have been blogging.
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