पश्चिमोत्तानासन पाचन में सुधार करने, कब्ज, गैस और अपच की समस्याओं में लिवर और किडनी के रोगियों के लिए फायदेमंद है।

अधोमुख श्वानासन योग पेट की निचली मांसपेशियों को मजबूत बनाने, रक्त संचार बढ़ाने और पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है।

भुजंगासन पेट को टोन करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने, रक्त परिसंचरण में सुधार करने में भी मदद करता है

उष्ट्रासन योग शरीर को लचीला, कमर के निचले हिस्से में दर्द की समस्या को कम करना, थकान, चिंता आदि को दूर करता है।

सेतुबंध आसन से अस्थमा (दमा), हाई बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस, चिंता, थकान, पीठ दर्द, सिरदर्द, और अनिद्रा कम कर देता है।

धनुरासन पाचन क्रिया, टखनों, जांघों, छाती, गर्दन और कंधों की ताकत, रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में सुधार करता है।

योग मुद्रा आसन मेरुदण्ड व नाड़ी तन्त्र को स्वस्थ, फेफड़े मज़बूत, रक्त संचार ठीक, मल निष्कासन सहज हो जाता है।

पवनमुक्तासन योग पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, गैस को दूर करता है और कब्ज को रोकने में बहुत मदद करता है।

उत्कटासन योग टखने, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ को मजबूत, रक्त संचार और मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में मदद करता है।

पादहस्तासन योग से किडनी और लिवर को सक्रिय, हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, नपुंसकता, साइनोसाइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस को ठीक करता है।